Fertilizer Crisis: MP में खाद की किल्लत से जूझते किसान, कांग्रेस का बीजेपी सरकार पर हमला

Fertilizer Crisis MP में खाद की किल्लत से जूझते किसान, कांग्रेस का बीजेपी सरकार पर हमला। मध्य प्रदेश के किसानों के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या बन गई है – Fertilizer Crisis। एक ओर खेतों में बुआई का समय चल रहा है और दूसरी ओर खाद की भारी किल्लत ने किसानों की कमर तोड़ दी है। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि किसान सुबह 4 बजे से बारिश में भीगते हुए सरकारी वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े दिखाई दे रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रही।

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कहां-कहां दिख रही है Fertilizer Crisis की तस्वीर?

प्रदेश के छिंदवाड़ा, सागर, नरसिंहपुर, दमोह, टीकमगढ़, सीहोर, विदिशा और हरदा जैसे कई जिलों से किसानों की परेशानी की तस्वीरें सामने आई हैं। सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जहां किसान टोकन लेकर घंटों इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वितरण से पहले ही स्टॉक खत्म हो जाता है।. .

DAP और Urea के लिए त्राहि-त्राहि, खाली हाथ लौट रहे किसान

इस बार सबसे अधिक मांग DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया की है, लेकिन इन दोनों उर्वरकों की बाजार में भारी कमी देखी जा रही है। किसान कहते हैं कि बुआई के इस मौसम में समय पर खाद नहीं मिली, तो फसल का पूरा चक्र गड़बड़ा जाएगा। बारिश के समय में खाद की अनुपलब्धता उनकी मेहनत पर पानी फेर सकती है।

राजनीतिक भूचाल: कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना

खाद संकट ने प्रदेश में एक राजनीतिक बहस को भी जन्म दे दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार को घेरते हुए तीखा हमला बोला है।

कमलनाथ ने कहा – ‘भाजपा सरकार किसान विरोधी है’

कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के खाद वितरण केंद्र की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि,

“लगता है भाजपा सरकार ने किसानों को तंग करना ही अपना धर्म मान लिया है। अगर हमारी सरकार आएगी तो हम हर किसान की पीड़ा दूर करेंगे।”

कमलनाथ का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने आज तक किसानों की भलाई के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई है। खाद वितरण की वर्तमान स्थिति इस बात का प्रमाण है।

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उमंग सिंघार बोले – ‘विदेश में निवेश ढूंढने की बजाय किसानों की सुनिए’

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सागर जिले में किसानों की कतारों का वीडियो साझा करते हुए कहा कि,

“DAP के बाद अब यूरिया भी गायब है। किसान सुबह 4 बजे से लाइन में खड़े हैं और सरकार खाद संकट (Fertilizer Crisis) बना रही है, खाद्यान्न सुरक्षा नहीं।”

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे विदेशों में निवेश की तलाश करने की बजाय प्रदेश के किसानों की समस्याओं का समाधान करें। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से अधिक खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।

Fertilizer Crisis के पीछे क्या कारण हैं?

1. आपूर्ति में देरी

राज्य में खाद की मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो रही है। केंद्र सरकार से आने वाली खाद की खेप में देरी के कारण प्रदेश भर में संकट उत्पन्न हो गया है।

2. बिक्री केंद्रों पर अव्यवस्था

कई जिलों में खाद वितरण केंद्रों पर न तो कर्मचारियों की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही लाइन प्रबंधन की। इससे अफरा-तफरी का माहौल बनता है और सैकड़ों किसान खाली हाथ लौट जाते हैं।

3. कालाबाज़ारी और ब्लैक मार्केटिंग

कुछ जगहों से खाद की कालाबाज़ारी और प्राइवेट डीलरों द्वारा ज्यादा कीमत वसूली की शिकायतें भी आई हैं, जिससे वास्तविक जरूरतमंद किसान वंचित हो रहे हैं।

किसानों की जुबानी – उनकी पीड़ा और हताशा

कई किसानों ने कहा कि यदि एक-दो दिन और खाद नहीं मिली, तो वे खेतों में बुआई ही नहीं कर पाएंगे। शिवराजपुर के एक किसान रमेश पाल ने बताया:

क्या कर रही है सरकार?

राज्य सरकार का दावा है कि केंद्र से नियमित खाद मंगाई जा रही है और स्थिति पर नियंत्रण के लिए निगरानी की जा रही है। लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। किसानों की बढ़ती भीड़, लंबी लाइनें और खाली हाथ लौटते लोग व्यवस्था की असफलता को उजागर कर रहे हैं।

क्या है किसानों की मांग?

  • खाद की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
  • वितरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए
  • टोकन प्रणाली को पारदर्शी और डिजिटली मजबूत बनाया जाए
  • कालाबाज़ारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए
  • संकट की स्थिति में मोबाइल वैन से खाद की आपूर्ति की जाए

Fertilizer Crisis बन सकता है चुनावी मुद्दा

मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीनों में चुनाव हैं, और ऐसे में यह खाद संकट विपक्ष के लिए बड़ा चुनावी हथियार बन सकता है। कांग्रेस नेताओं ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी सरकार बनी तो वे किसानों को खाद, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं होने देंगे।

निष्कर्ष: किसानों को राहत कब मिलेगी?

Fertilizer Crisis कोई एक दिन की समस्या नहीं है। यह एक प्रशासनिक कुप्रबंधन, नीति की विफलता और कृषक वर्ग की अनदेखी का परिणाम है। यदि समय रहते सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो न केवल किसानों को भारी नुकसान होगा, बल्कि आने वाले समय में यह राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन का रूप भी ले सकता है।

सरकार को चाहिए कि वह तत्काल विशेष खाद आपूर्ति अभियान चलाए, किसानों को राहत दे और यह सुनिश्चित करे कि किसान खेत में खाद की कमी के कारण पीछे न रह जाए, बल्कि उनके हौंसले और फसलें दोनों लहराएं।

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