हमारे पुरे भारत देश में जन्माष्टमी का पर्व बड़े उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन बाके बिहारी को भक्त 56 भोग लगाकर रिझाने की परंपरा निभाते हैं। लेकिन हर कोई इतने भोग बनाने में सक्षम नहीं होता। ऐसे में क्या भगवान प्रसन्न नहीं होंगे? बिल्कुल होंगे बस आपको पता होना चाहिए कि उन्हें कौन से भोग सबसे अधिक प्रिय हैं। तो हम आपको बता रहे हैं भगवान कृष्ण के प्रिय भोग, जिन्हें आप इस जन्माष्टमी घर पर आसानी से बना सकते हैं। ये भोग न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं बल्कि परंपरागत और आध्यात्मिक महत्व भी रखते हैं।
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को प्रिय भोग
माखन-मिश्री
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बाके बिहारी जी के बचपन की सबसे प्रसिद्ध लीलाओं में माखन चोरी का जिक्र जरूर आता है। माखन-मिश्री का भोग उनके लिए प्रेम और बालपन का प्रतीक माना जाता है। ताजे माखन में बारीक मिश्री मिलाकर भोग लगाने से न केवल भगवान प्रसन्न होते हैं, बल्कि घर में सुख-शांति का वास होता है। और धार्मिक मान्यता है कि माखन-मिश्री का भोग लगाने से घर के रिश्तों में मिठास बढ़ती है और कलह समाप्त होती है। साथ ही यह भोग बनाना बेहद आसान और शुद्ध होता है, जिससे इसे हर कोई जन्माष्टमी पर अर्पित कर सकता है।
धनिया पंजीरी
बता दे की धनिया पंजीरी खासकर उत्तर भारत में जन्माष्टमी का पारंपरिक प्रसाद है। इसे धनिया पाउडर, घी, बूरा और मेवों से तैयार किया जाता है। धार्मिक रूप से यह प्रसाद श्रीकृष्ण को प्रिय है और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पाचन के लिए फायदेमंद है। जन्माष्टमी की रात व्रत रखने वाले भक्त इस भोग को प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं, जिससे ऊर्जा बनी रहती है और थकान दूर होती है। ऐसा माना जाता है की धनिया पंजीरी का भोग लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
पंचामृत
बता दे की पंचामृत भगवान को स्नान कराने और भोग लगाने, दोनों में उपयोग किया जाता है। इसमें दूध, दही, घी, शहद और मिश्री ये पांच पवित्र तत्व होते हैं। माना जाता है कि पंचामृत का सेवन करने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। जन्माष्टमी पर पंचामृत का भोग लगाना श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का एक अत्यंत शुभ तरीका है। यह भोग घर में समृद्धि लाता है।
गुड़-चने
बता दे की भुने चने और गुड़ का संयोजन श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है। यह भोग सादगी, मेहनत और स्वास्थ्य का प्रतीक है। गुड़-चने का भोग लगाने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं रहती है। गुड़ शरीर में ऊर्जा और गर्मी प्रदान करता है, जबकि चना प्रोटीन से भरपूर होता है। इसलिए व्रत रखने वाले भक्तों के लिए यह भोग न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है
तुलसी दल के साथ दूध
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बता दे की तुलसी भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण के लिए अत्यंत पवित्र और प्रिय है। दूध में तुलसी के पत्ते डालकर भोग अर्पित करना धार्मिक रूप से अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह भोग भगवान के प्रति समर्पण और पवित्रता का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, तुलसी-दूध का भोग लगाने से पाप नष्ट होते हैं और घर में रोग-निवारण की शक्ति बढ़ती है। यह भोग न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वातावरण को भी शुद्ध करता है।
भोग लगाने का सही तरीका
- बता दे की भोग बनाने से पहले रसोई और बर्तनों को अच्छी तरह साफ करें। भगवान को हमेशा शुद्ध और सात्विक भोजन ही अर्पित करें।
- भोग लगाते समय मन में भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा होनी चाहिए। मान्यता है कि भाव से अर्पित किया गया एक कण भी उन्हें प्रसन्न करता है।
- भोग के बाद उसे प्रसाद के रूप में परिवार और आस-पास के लोगों में बाँटें। इससे पुण्य फल मिलता है और सामूहिक प्रेम बढ़ता है।