madhya pradesh high court-stay-on-reservation-in-promotion: मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) को लेकर राज्य सरकार के नए नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस पर रोक लगाने का निर्देश देते हुए कहा है कि फिलहाल किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए।Madhya Pradesh High Court
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क्या है मामला?
यह पूरा मामला उस समय गरमाया जब राज्य सरकार ने 17 जून 2025 को मंत्रिमंडल की बैठक में लंबे समय से रुके हुए प्रमोशन के मामलों को लेकर फैसला लिया। इस फैसले के तहत सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को नई सेवा पदोन्नति नियमावली-2025 (Public Service Promotion Rules-2025) के अनुसार प्रमोशन देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस निर्णय से सरकारी महकमों में उत्साह का माहौल बना।

लेकिन इसी बीच एसएपीएएक्स (SAPAKS) संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिसमें madhya pradesh high court-stay-on-reservation-in-promotion से जुड़ा मुद्दा उठाया गया। संस्था का तर्क था कि जब यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्णय कैसे ले सकती है?
हाईकोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई
Madhya Pradesh High Court हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक अगली सुनवाई नहीं होती (15 जुलाई 2025), तब तक किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ न दिया जाए। यह आदेश राज्य प्रशासन के लिए एक झटका माना जा रहा है क्योंकि प्रमोशन की प्रक्रिया को जुलाई के अंत तक पूरा करने की तैयारी चल रही थी।
राज्य सरकार की तैयारी पर असर
राज्य सरकार ने प्रमोशन को लेकर 26 जून को मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक भी की थी। इसमें सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए गए थे कि 31 जुलाई 2025 तक सभी पात्र कर्मचारियों व अधिकारियों का प्रमोशन कर दिया जाए। मगर अब हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद पूरी प्रक्रिया पर अस्थायी विराम लग गया है।Madhya Pradesh High Court
क्या कहा गया है याचिका में?
एसएपीएएक्स की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और जब तक शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक राज्य सरकार इस संबंध में कोई नीति लागू नहीं कर सकती।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि इससे सामान्य वर्ग, ओबीसी और अन्य वर्गों के अधिकारियों व कर्मचारियों के हित प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में कोर्ट को इस फैसले पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
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कर्मचारियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां एक ओर लंबे समय से प्रमोशन की बाट जोह रहे अधिकारियों में निराशा है, वहीं दूसरी ओर सामान्य वर्ग के कई कर्मचारी इस फैसले से संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं।
कई कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना ही उचित होगा, जिससे किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो।
प्रमोशन नीति 2025 और उसमें SC-ST वर्ग के लिए प्रावधान
राज्य सरकार ने Public Service Promotion Rules-2025 में यह सुनिश्चित किया था कि प्रमोशन की प्रक्रिया में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सहित सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा जाए। सरकार का यह दावा रहा है कि नई नीति समावेशी और संतुलित है। लेकिन कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में आगे क्या रुख अपनाती है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा करती है या उच्च न्यायालय में ठोस जवाब देकर फिर से प्रक्रिया को शुरू कर पाती है।
आगे क्या हो सकता है
अब सभी की नजरें 15 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। यदि कोर्ट राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय देता है तो प्रमोशन प्रक्रिया को पुनः शुरू किया जा सकता है, अन्यथा इसे रोककर नए दिशा-निर्देशों का इंतजार करना होगा।
निष्कर्ष
madhya pradesh high court-stay-on-reservation-in-promotion को लेकर उठा यह विवाद अब राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और हजारों कर्मचारियों के करियर पर असर डाल रहा है। जहां एक ओर सरकार की मंशा सभी वर्गों को लाभ देने की रही है, वहीं कोर्ट का दखल यह सुनिश्चित कर रहा है कि संवैधानिक प्रक्रियाओं और न्यायिक सीमाओं का पालन किया जाए। राज्य के सभी कर्मचारियों, अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह समय धैर्य रखने और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार करने का है।